इंसान और बंदर देखने में तो काफी अलग होते हैं पर ढांचा बिलकुल एक जैसा । वही २ कान २ आँखें १ नाक और मुँह वही १०-१० उँगलियों के पंजे पर सिर्फ एक अकेली पूँछ ने सारा खेल बिगाड़ दिया। वरना वो जानवर होते हुए भी आज हम मनुष्यों के साथ पल-बढ़ रहे होते क्यूंकि बंदरों को इंसानो के साथ काम करना या यूँ कहें उनकी नक़ल उतारना बखूबी पसंद है या इंसानो को बंदरों के साथ घुलना मिलना अच्छा लगता है।
2013 की ही बात कर रहा हूँ ! जल्दी से हाजमोला कैंडी मेरे हाथों से लपकते ही इसने मुझे ऊँगली में काट लिया! बस क्या, उसी दिन से मेरा बुरा होने लगा । सरकारी हस्पताल से बंदर काटने का इंजेक्शन यानि टिका लेना पड़ा । मुझे ऐसे आतंक की उम्मीद एक बन्दर के बच्चे से तो नहीं थी पर क्या करता, ठहरा तो वो जानवर ही।
मज़ा तो तब आता है जब ये बन्दर बिना आक्रामकता के, स्वेच्छा से करतब दिखाए। जैसे घरों की दीवारों पर कूदना, झुंड में सबके आकर्षण का कारण बनना, बड़े-बड़े पेड़ों पर लम्बी-लम्बी छलांग लगाना या बिना ड्राइविंग लाइसेंस के दो पहिया वाहन की सवारी करना इत्यादि।
जरुरी नहीं की जो बन्दर जंगली हैं, अर्थात जिनका लालन-पोषण मनुष्यों ने नहीं किया हैं उन्हें मनुष्यों और उनके रोजमर्रा के वस्तुओं से प्यार नहीं । ज़रा, इन्हे तो देखिये । मेरे बड़े भैया ने ५ मिनट के लिए मोटरसाइकिल क्या खड़ी कर दी इन महाशय ने तो कब्ज़ा ही कर लिया।
लोग बड़े चाव से मदारी का तमाशा भी देखते हैं, पैसे लुटाते हैं, बंदर को केला-फल खिलाया जाता है इत्यादि-इत्यादि! खैर वो अलग बात है के मैं इस बन्दर के बच्चे को केला देने के बजाय Hajmola Candy देने गया था, पर उल्टा कहावत यह हो गयी की
बन्दर क्या जाने CANDY का स्वाद?
बंदरों के लंगूर प्रजाति का आतंक
गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर भी खुलेआम है इनका अड्डा |
जनाब बन्दर राजा, कहीं आप साइकिल गायब करने के फ़िराक में तो नहीं हैं? |
जरुरी नहीं की जो बन्दर जंगली हैं, अर्थात जिनका लालन-पोषण मनुष्यों ने नहीं किया हैं उन्हें मनुष्यों और उनके रोजमर्रा के वस्तुओं से प्यार नहीं । ज़रा, इन्हे तो देखिये । मेरे बड़े भैया ने ५ मिनट के लिए मोटरसाइकिल क्या खड़ी कर दी इन महाशय ने तो कब्ज़ा ही कर लिया।
गाड़ी चलानी आती है क्या? ज़रा ड्राइविंग लाइसेंस दिखाना |
Who let the Dogs out, Oops...Who let the Monkeys out |
घड़ियाँ बीतती जा रही है इस इंतज़ार में की कब हनुमान जी के कलयुगी अवतार लंगूर मोटरसाइकिल से उतरेंगे और हमलोगों को अपनी गाडी के हैंडल लॉक में चाभी घुसाने मिलेगा ताकि वहां से जा पाए। मज़ाल नहीं किसीकी जो बैठे हुए इस लंगूर को अंगूर का लालच देकर निचे भी उतार सके।
आखिरकार अच्छा खासा समय मोटरसाइकिल के नरम सीट पर बिताने के बाद हमें लंगूर जी से इजाजत मिली की हम लोग अपनी गाडी लेकर वहां से निकल पाए! अगर ऐसे ही किसी बन्दर के आतंक में आप भी कभी रहे हो तो कमेंट में अपनी बात जरूर से जरूर साँझा कीजियेगा।
लंगूर थप्पड़ बड़े जोर की मारते हैं।
कैसी गाड़ी है आगे बढ़ती ही नहीं कहीं टायर पंक्चर तो नहीं...रुको देख लूँ |