हिंदी फिल्म - "सिलसिला " (सं. 1981) का यह मशहूर गीत गीतकार जावेद अख्तर द्वारा उकेरा हुआ एक बेहद ही खूबसूरत गाना है! इस डुएट को श्री लता मंगेशकर और श्री अमिताभ बच्चन ने अपने आवाज़ से नवाज़ा है!
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इस EPIC LYRICS ब्लॉग पोस्ट में मैं आपके साथ साँझा कर रहा हूँ, वह अमिताभ बच्चन जी के आवाज़ में गुनगुनाये हुए कुछ अल्फ़ाज़!
या यु कहे के एक ऐसी शेर ओ शायरी जिसने इस गाने को मेरे दिल में उकेर दिया!
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं तुम होती तो कैसा होता,
तुम ये केहती, तुम वो केहती तुम इस बात पे हैरां होती तुम उस बात पे कितनी हंसती?
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता ! मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं!
ये रात है, या तुम्हारी जुल्फें खुली हुई हैं !
है चांदनी या तुम्हारी नजरों से मेरी रातें धूलि हुई हैं !
ये चाँद है या तुम्हारा कंगन
सितारें है या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है या तुम्हारे बदन की खुसबू!
ये पत्तियों की है सरसराहट के तुमने चुपके से कुछ कहा है!
ये सोचता हूँ मैं कब से गुमसुम
के जब की मुझको भी यह खबर है के तुम नहीं हो, कहीं नहीं हो !
मगर ये दिल है के कह रहा है के तुम यहीं हो - यहीं कहीं हो !
मजबूर यह हालात, इधर भी है उधर भी
तन्हाई की एक रात, इधर भी है उधर भी !
केहने को बहोत कुछ है, मगर किस्से कहें हम !
कब तक यूँही खामोश रहें और सहें हम !
दिल कहता है दुनिया की हर एक रस्म उठा दें !
दीवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दें
क्यों दिल में सुलगते रहे, लोगों को बता दें !
हाँ हमको मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत !!
अब दिल में यही बात, इधर भी है, उधर भी !