शेफाली, पारिजात, सिउली, हरसिंगार, प्राजक्ता, इत्यादि नामों से पूरे भारत में पहचाने जाने वाला इस फूल का पेड़ पुरे भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी मीठी सुंगंध के लिए माना और जाना जाता है! इसका वानस्पतिक नाम Nycthanthes arbor-tristis है, और अगर आप कभी दुर्गा पूजा में कलकत्ता पधारे हों तो आपने गौर किया होगा के पूजा मंडप और पंडालों के आस-पास; हज़ारों-लाखों लोगों की भीड़ और कई प्रकार के पकवानों की दुर्गन्ध एवं सुगंध को चीरती हुयी जो मीठी सी सुगंध आपको अपनी तरफ खिंच रही है वह इसी पारिजात के फूल की थी!
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आप लोगों में से जिसे पता ना हो उन्हें बताना चाहूंगा के 'सिउली का फूल', पश्चिम बंगाल का (offcial)सरकारी मान्यता प्राप्त फूल है! और हो भी क्यों ना, ये सिउली के फूल ही हैं जो रिहायसी इलाकों में अक्सर बाग़-बगीचों में पाये जाते हैं और इनकी खुशबू हमें दुर्गा-पूजा के निकट आने का संकेत देती हैं! जैसा के आप सभी जानते हैं के मेरा जन्म और पालन-पोषण पश्चिम बंगाल में हुआ है, इसलिए गाहे-अगाहे सिउली के फूलों की मादक सुगंध मुझे किसी न किसी मोड़ या नुक्कड़ पर मिली ही जाती है! और अब तो सोने पे सुहागा ही हो गया, जिस नए मोहल्ले में गए हैं, हमारे घर के दरवाज़े के सामने ही सिउली का पेड़ है, और सावन का महीना खत्म होते ही, पारिजात के फूल दुर्गा-पूजा के समीप आने का संकेत देने लगते है! सुबह घर से बहार निकलते ही इसकी खुशबू आपका मन्न और चित प्रसन्न कर देती है और आपकी यात्रा भी बन जाती है! ऐसा सुगन्धित वातावरण आनेवाले 2-3 महीनो तक रहता है!
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पौराणिक हिन्दू कथाओं की माने तो, समुन्द्र मंथन से ही कल्पवृक्ष अर्थार्त पारिजात के पेड़ की उत्पत्ति हुयी! इसे प्रेम और सौहार्द का प्रतिक माना गया है! कहानियां यहाँ तक कहती हैं के प्रेम लीला करने वाले भगवन श्री कृष्ण ने इन्द्र से युद्ध कर पारिजात के पेड़ को प्राप्त किया है! इसी पर, श्री कृष्ण की पहली पत्नी सत्यभामा ने इस फूल के पेड़ को खुद के कमरे से सटे हुए बगीचे में लगवाने को कहाँ, श्री कृष्ण ने भी ऐसा ही किया, परन्तु वह कुछ इसतरह के इसके फूल खिलेंगे तो सत्यभामा के बगीचे में पर गिरेंगे बगल वाले बगीचे में, जहाँ श्री कृष्णा की दूसरी पत्नी रुक्मिणी रहती थी और वो उन्हें ज्यादा प्रिय थी!!
विदेशों में प्रसिद्ध एक कहानी यह भी है के, पारिजात को सूर्य से प्यार था, उसने सुरज को पाने की बहुत कोशिश की पर जब उसका आमना-सामना धधकते हुए सूरज से हुआ तो वो उसकी गर्मी से भस्म हो कर राख की ढेर बन गयी, कुछ दिनों बाद उसी राख की ढेर में से सिउली यानि Night Jasmine के पेड़ का जन्म हुआ! इस पेड़ के फूलों की खासियत यह होती है की यह सुरज ढलने के बाद खिलती हैं, और सुबह का सुरज उगने के पहले दर्द भरे आंसुओं की भावना देते हुए पेड़ से झड़ कर ज़मीन पर गिर जाती है! इसतरह, हमलोग कह सकते हैं के इस फूल ने खिलने से मुरझाने तक सिर्फ और सिर्फ प्यार ही बांटा है!
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