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Showing posts from November, 2018

दिवाली : गांव VERSUS शहर की दीपावली

दिवाली का त्यौहार दिए की दीपक से हुयी रोशनी का त्यौहार है। इसे दीपावली भी इसीलिए बुलाते हैं क्यों क्यूंकि इसी दिन मिट्टी के दिया से घर-आँगन को रोशनी से प्रज्ज्वलित करते हैं और घर में श्री गणेश - लक्ष्मी की आराधना और पूजा अर्चना करते हैं।  हिन्दु मान्यताओं के अनुसार दिवाली के शुभ दिन के सुअवसर पर घर या दुकान में गणेश-लक्ष्मी की स्थापना और पूजा की जाती हैं। और मनोकामना की जाती है के बुद्धिमान गणेश और धनवान माता लक्ष्मी यूँ ही पुरे साल घर में उसी स्थान पर विराजे रहे जहाँ उनकी पूजा इस दिवाली में की गयी है। दीपावली या दिवाली का त्योहार जगमगाती रोशनी और धूम-धाम करते हुए पटाखों का दिन है. अनेको तरह के पटाखे जलाये जाते है जो जलने के बाद भी धुआं छोड़ते रहते हैं।  आज मैं आपके सामने देश के विभिन्न भागों में दिवाली मनाने के अलग-अलग ढंग को पेश करूँगा जो की मैंने पिछले कुछ सालों से तस्वीरों में संजो कर रखा हुआ था ताकि आज आपके सामने ला सकूँ।  सही मायने में दिवाली ही एक ऐसा पर्व है जिसे धूम-धाम से मनाया जाता है।  मैं उस धूम-धाम की बात कर रहा हूँ जो पटाखे की आवाज़ से होती है। ...

Picture Perfect Moment - Dog asking for human help in human language on railway track

Thodi Si Toh Lift Kara De - Dog beneath the train on railway tracks. Seems like asking for human help in human sign language. This incident happened with me when I was traveling by Indian Railways. My train was on halt   at Samstipur Junction Railway Station. and this dog appeared just beneath the 'LIFT HERE' sign you all have seen in Indian Railways Passenger Wagon compartments. And  gave me this opportunity to capture the picture-perfect moment on my  smartphone mobile's camera . It looked like the dog  appeared from the other side of the platform finding his way out. He  was trying to climb onto the platform on which the train was standing. But did not find success. That moment shot in a camera portrays like if the dog is asking for human help in human language. Check out that photo on my Instagram:- @janakyadav As soon as I took the photo, he disappeared unharmed in his quest to find out the right way without any human help & moved...

चले आना तू पान की दुकान पे 18 साल के होने के बाद

"18 साल से कम उम्र वाले को सिगरेट - पान - गुटखा - तम्बाकू नहीं दिया जायेगा " ऐसा आपने कितने पान दुकानों में लिखा देखा है?  या कितने पान शॉप पर पान बेचने वाले भईया होंगे जो ऐसी सोच रखते होंगे या मानते होंगे? भारत में जब तक आप 18  साल के नहीं होते तब तक आप नाबालिग हैं। यानि आपके बचपने वाले बर्ताव के कारण आपके लिए नियम और दंड भी अलग है। जैसे नाबालिगों को वोट न दे पाना सबसे सामान्य वर्जित नियमों में से एक है। पर उसके साथ ही आप सिगरेट, बीड़ी, पान, गुटखा, तम्बाकू, शराब या कोई भी नशा करने वाला पदार्थ ना कोई नाबालिगों को बेच सकता है और ना ही आप १८ साले से कम उम्र होने के वजह से खरीद सकते हो। उसी तरह एडल्ट फिल्म भी वर्जित है क्यूंकि उसके लिए आपको एडल्ट होना या बालिग होना जरुरी है। फिर भी ऐसा होता कहाँ है। वर्जित है तो सही पर मानता कौन है? अजी मानने वाले मानते हैं, और वो ही मानते हैं जो बुद्धि से और शरीर से बालिग हो जाते हैं। जिन्हे पैसे की भूख नहीं देश को सही दिशा देने की भूख होती है।  हावड़ा मैदान में चौरसिया जी की पान की दुकान और उनकी उच्च कोटि की सोच दुकान के निसिद्ध ...